प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को धनु लग्न मेष नवांश कुंभ राशि में हुआ। कुभं लग्न या राशि वाले अधिकतर इकहरे शरीर वाले होते है।
रेखा एक बेहतरीन व खूबसूरत कलाकार है लेकिन दुर्भाग्य उनके जुडा़ रहा। आपने जिसको चाहा वह नहीं मिला व जिसने आपको चाहा वह नहीं रहा। विनोद मेहरा हो या प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अग्रवाल।
रेखा की पत्रिका के अनुसार विपरीत स्थितियों के लिए ग्रहों का दोष रहा। पत्रिका में जहां लग्न का स्वामी गुरु उच्च का होकर अष्टम भाव में है वहीं लग्न दूषित है। एक तो मांगलिक दूसरा नीच का राहु। लग्न व लग्नेश को प्रभावित कर रहे हैं। यही वजह है कि मनचाहा प्यार मिला नहीं और जो मिला वह रहा नहीं।
रेखा की पत्रिका में लग्नेश उच्च का होकर एकादश भाव में है। धन भाव का स्वामी पराक्रमेश होने से आय के साधनों में कभी कमी नहीं रही। मंगल पंचम (संतान भाव) का स्वामी है और द्वादश (व्यय भाव) का भी। वह शनि से तृतीय दृष्टि से देखा जा रहा है।
इस प्रकार मंगल व लग्न तिहरी मार से प्रभावित है। एक राहु के लग्न में नीच के होने से तो दूसरी मार शनि के तृतीय दृष्टि से व तृतीय मांगलिक होने से।
सप्तम भाव में विच्छेदक कारक केतु नीच का है। जिसने पति को नहीं रहने दिया। सप्तमेश राहु के नक्षत्र स्वाति में है। दाम्पत्य जीवन का कारक शुक्र भी वृश्चिक राशि का है। जो सेक्सी भाव को दर्शाता है। शुक्र दो क्रूर ग्रहों के मध्य है, एक शनि जो शुक्र से एक घर पीछे है व मंगल-राहु, शुक्र से एक घर आगे है। इस प्रकार शुक्र भी पीड़ित हो गया।
पंचम भाव पर शनि की नीच दृष्टि भी संतान के अभाव को दर्शाती है। सूर्य भाग्येश होकर दशम भाव में मित्र के रूप में है। 16 नवंबर से शनि का प्रवेश आपकी जन्म लग्न में स्थित शनि से गोचरीय भ्रमण करने के कारण लाभदायक स्थिति देगा, लेकिन यही शनि स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के संकेत भी देता है।
रेखा एक बेहतरीन व खूबसूरत कलाकार है लेकिन दुर्भाग्य उनके जुडा़ रहा। आपने जिसको चाहा वह नहीं मिला व जिसने आपको चाहा वह नहीं रहा। विनोद मेहरा हो या प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अग्रवाल।
रेखा की पत्रिका के अनुसार विपरीत स्थितियों के लिए ग्रहों का दोष रहा। पत्रिका में जहां लग्न का स्वामी गुरु उच्च का होकर अष्टम भाव में है वहीं लग्न दूषित है। एक तो मांगलिक दूसरा नीच का राहु। लग्न व लग्नेश को प्रभावित कर रहे हैं। यही वजह है कि मनचाहा प्यार मिला नहीं और जो मिला वह रहा नहीं।
रेखा की पत्रिका में लग्नेश उच्च का होकर एकादश भाव में है। धन भाव का स्वामी पराक्रमेश होने से आय के साधनों में कभी कमी नहीं रही। मंगल पंचम (संतान भाव) का स्वामी है और द्वादश (व्यय भाव) का भी। वह शनि से तृतीय दृष्टि से देखा जा रहा है।
इस प्रकार मंगल व लग्न तिहरी मार से प्रभावित है। एक राहु के लग्न में नीच के होने से तो दूसरी मार शनि के तृतीय दृष्टि से व तृतीय मांगलिक होने से।
सप्तम भाव में विच्छेदक कारक केतु नीच का है। जिसने पति को नहीं रहने दिया। सप्तमेश राहु के नक्षत्र स्वाति में है। दाम्पत्य जीवन का कारक शुक्र भी वृश्चिक राशि का है। जो सेक्सी भाव को दर्शाता है। शुक्र दो क्रूर ग्रहों के मध्य है, एक शनि जो शुक्र से एक घर पीछे है व मंगल-राहु, शुक्र से एक घर आगे है। इस प्रकार शुक्र भी पीड़ित हो गया।
पंचम भाव पर शनि की नीच दृष्टि भी संतान के अभाव को दर्शाती है। सूर्य भाग्येश होकर दशम भाव में मित्र के रूप में है। 16 नवंबर से शनि का प्रवेश आपकी जन्म लग्न में स्थित शनि से गोचरीय भ्रमण करने के कारण लाभदायक स्थिति देगा, लेकिन यही शनि स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के संकेत भी देता है।
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