पाकिस्तान ने भारत से वर्ष 2008 के मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ ‘भरोसेमंद सबूत’ पेश करने को कहा है कि ताकि ये लोग अदालत से अपनी रिहाई हासिल नहीं कर सकें।
गृहमंत्री रहमान ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों के आधार पर जमात उद दवा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और मुंबई हमले के अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन संदिग्ध छूट गए क्योंकि भारत द्वारा दी गई सूचना अस्पष्ट और नाकाफी थी।
मलिक ने एक कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि पाकिस्तान भारत द्वारा प्रदान की गई सूचना के आधार पर कार्रवाई करने को तैयार है और ये सूचनाएं अदालत में भी जरूरी हैं। हाफिज सईद की गतिविधियों के बारे में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि जेयूडी प्रमुख को अदालत ने रिहा किया है।
मलिक ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र है ओर अदालत स्वतंत्र रूप से निर्णय करने को मुक्त हैं। मुंबई हमले के बाद सईद को नजरबंद कर दिया गया, लेकिन छह माह बाद लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश पर उसे रिहा कर दिया गया।
पाकिस्तान प्रशासन ने मुम्बई हमले की साजिश रचने और उसके लिए धन की व्यवस्था करने के आरोप में लश्कर-ए-तैयबा कमांडर जकीउर रहमान समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था लेकिन विभिन्न कारणों से उनकी सुनवाई में आतंकवाद निरोधक अदालत में रुक गई।
विदेशमंत्री रंजन मथई ने हाल ही में मलिक के इस दावे का खंडन किया कि भारत ने मुंबई हमले के आरोपियों के मामले में अपर्याप्त सबूत दिए। भारत सईद को मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता बताता है।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर को हुए इस आतंकवादी हमले में करीब 170 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। हमले में मारे गए लोगों में कई विदेशी नागरिक भी थे।
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