पेट्रोल के दाम 1.80 रुपए लीटर बढ़ाने के एक दिन बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) ने शुक्रवार को कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत काफी घट जाने के कारण पेट्रोल मूल्यवृद्धि जरूरी हो गई थी।
आईओसी चेयरमैन आरएस बुटोला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की विनिमय दर 16 सितंबर के 46.29 रुपए से घट कर 49.40 रुपए प्रति डॉलर तक चली गई इससे कच्चे तेल का आयात महंगा हो गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि देश में 79 प्रतिशत पेट्रोलियम पदार्थों की पूर्ति आयात के जरिए होती है।
आईओसी अध्यक्ष ने कहा डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर घटने से पेट्रोल के दाम में 2.49 रुपए लीटर की वृद्धि जरूरी हो गई थी, लेकिन तेल मूल्यों में कुछ गिरावट आने के बाद इसमें 1.52 रुपए वृद्धि की ही जरूरत रह गई थी। स्थानीय कर जुड़ने के बाद दिल्ली में यह वृद्धि 1.80 रुपए लीटर हो गई।
बुटोला ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सच नहीं है कि हम पेट्रोल पर मुनाफा कमा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब कभी कच्चे तेल के दाम में बड़ी गिरावट आती है तब कुछ दिन, मुश्किल से एक या दो दिन स्थिति में बदलाव आता है, लेकिन यह अस्थाई होती है।
उन्होंने कहा कि हम दैनिक मूल्य स्थिति के हिसाब से दाम तय नहीं करते हैं। यदि दैनिक हिसाब से दाम तय किए जाएं तो अक्टूबर माह में कुछ दिनों के दौरान जब रुपए की विनिमय दर 50 रुपए प्रति डॉलर तक गिर गई थी पेट्रोल के दाम 2.50 रुपए तक बढ़ने चाहिए थे।
तेल कंपनियां प्रत्येक पखवाड़े आयात और खुदरा मूल्य की समीक्षा करती हैं। सरकार ने पिछले साल जून में पेट्रोल के दाम नियंत्रण मुक्त कर कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय घट-बढ़ के अनुरुप इसे तय करने की छूट दे दी थी।
आईओसी चेयरमैन आरएस बुटोला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की विनिमय दर 16 सितंबर के 46.29 रुपए से घट कर 49.40 रुपए प्रति डॉलर तक चली गई इससे कच्चे तेल का आयात महंगा हो गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि देश में 79 प्रतिशत पेट्रोलियम पदार्थों की पूर्ति आयात के जरिए होती है।
आईओसी अध्यक्ष ने कहा डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर घटने से पेट्रोल के दाम में 2.49 रुपए लीटर की वृद्धि जरूरी हो गई थी, लेकिन तेल मूल्यों में कुछ गिरावट आने के बाद इसमें 1.52 रुपए वृद्धि की ही जरूरत रह गई थी। स्थानीय कर जुड़ने के बाद दिल्ली में यह वृद्धि 1.80 रुपए लीटर हो गई।
बुटोला ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सच नहीं है कि हम पेट्रोल पर मुनाफा कमा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब कभी कच्चे तेल के दाम में बड़ी गिरावट आती है तब कुछ दिन, मुश्किल से एक या दो दिन स्थिति में बदलाव आता है, लेकिन यह अस्थाई होती है।
उन्होंने कहा कि हम दैनिक मूल्य स्थिति के हिसाब से दाम तय नहीं करते हैं। यदि दैनिक हिसाब से दाम तय किए जाएं तो अक्टूबर माह में कुछ दिनों के दौरान जब रुपए की विनिमय दर 50 रुपए प्रति डॉलर तक गिर गई थी पेट्रोल के दाम 2.50 रुपए तक बढ़ने चाहिए थे।
तेल कंपनियां प्रत्येक पखवाड़े आयात और खुदरा मूल्य की समीक्षा करती हैं। सरकार ने पिछले साल जून में पेट्रोल के दाम नियंत्रण मुक्त कर कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय घट-बढ़ के अनुरुप इसे तय करने की छूट दे दी थी।
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