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काले धन को वापस लाने का वातावरण बनाए

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक ऐसा वातावरण बनाने पर जोर दिया है, जिससे विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय उस देश में वापस ला सकें। काले धन के मसले पर सरकार लगातार आलोचनाएं झेल रही है।

सिंह ने कहा कि अब भारत में ही कमाई करने के बड़े अवसर हैं, ऐसे में लोगों के लिए जिनके पास ज्यादा पैसा है उन्हें ‘ज्यादा कमाई की जगह लिए’ ढूंढने के लिए विदेश में जाने की जरूरत नहीं रह गई है। सिंह यहां जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा जिससे हमारे लोग खुद की काले धन को देश में लाने के लिए प्रोत्साहित हों। भारत अवसरों का देश है। अब लोगों को अपने अधिशेष धन को विदेशों में रखने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ यही दीर्घकालीन तरीका है, जिससे विदेशी कर पनाहगाहों में धन के प्रवाह को हतोत्साहित किया जा सकता है।

उनसे एक सवाल किया गया था कि कालेधन की पनाहगाह माने जाने वाले देशों में जमा काले धन को वापस लाने में सरकार को कितना समय लगेगा? अपने जवाब की शुरुआत ‘मैं ज्योतिषी नहीं हूं’ से करते हुए सिंह ने कहा कि भारत उन देशों के साथ काम कर रहा है। सिर्फ वे देश ही तय कर सकते हैं कि वे भारत के साथ किस हद तक सहयोग करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा हम ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ कर सूचनाओं के आदान प्रदान पर काम कर रहे हैं। यह प्रक्रिया जारी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह यह नहीं जानते कि इस तरह का ‘तथाकथित काला धन कितना है’ यह कि क्या भारत के पास ऐसा पुख्ता तंत्र है कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाया जा सके।

सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि जी-20 के बयान में कर धोखाधड़ी और कर चोरी रोकने के लिए भारत की बैंकिंग पारदर्शिता और सूचनाओं के आदान प्रदान की मांग को शामिल किया गया है। ‘‘हमारे एजेंडा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

शिखर सम्मेलन ने अपने आधिकारिक बयान में कर सूचनाओं के आदान प्रदान की महत्ता का रेखांकित करते हुए वैश्विक मंचों से इसमें सुधार के लिए कार्य किए जाने को प्रोत्साहित किए जाने की बात कही है।

प्रधानमंत्री ने कहा हम सभी द्वारा कर संबंधी मामलों में आपसी प्रशासनिक सहयोग के बारे में बहुपक्षीय संधि पर दस्तखत की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।

मैं किसी भी तरह से वैश्विक गुरु नहीं : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यहां सीमित संख्या में द्विपक्षीय बैठक में खुद के शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर कहा है कि वह किसी भी तरह से ‘वैश्विक गुरु’ नहीं हैं। सिंह ने जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर अपने ब्रिटिश और आस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

दरअसल, दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन पर एक संवाददाता सम्मेलन में उनसे पूछा गया था कि उन्होंने और अधिक द्विपक्षीय बैठकें क्यों नहीं की, जबकि दुनिया के कई नेता वैश्विक आर्थिक संकट में उनके विचारों को तवज्जो देते हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सिंह से अपनी मुलाकात के दौरान उन्हें ‘एक असाधारण नेता’ बताया था और कहा था कि वह इस भारतीय नेता की ‘दोस्ती, समझदारी और शालीनता’ को बहुत महत्व देते हैं।

सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओं के साथ हाथ मिलाने के दौरान सिंह ने कहा, ‘राष्ट्रपति हू और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं।’ वहीं चीनी राष्ट्रपति ने गर्मजोशी से जवाब देते हुए उनसे कहा, ‘विश्व के आर्थिक मुद्दे से निपटने में हमारी सोच कितनी समान है।'



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