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विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा की तरह देखें

आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में विपक्ष और सहयोगी दलों की ओर से आ रही अड़चनों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि विकास प्रक्रिया से जुड़े मामले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखे जाएं।

ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश के 66वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को परंपरागत संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां तक तेज आर्थिक विकास के लिए देश के अंदर अनुकूल वातावरण बनाने का प्रश्न है, मेरा मानना है कि बहुत से मुद्दों पर आम राजनीतिक सहमति नहीं होने के कारण हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम अपनी विकास प्रक्रिया से जुड़े मामलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखें।

तेज आर्थिक विकास और देश को विश्व भर में छाये आर्थिक संकट से बचाने के लिए सरकार द्वारा कड़ी मेहनत करने का वायदा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम देश के आर्थिक विकास की दर को तेज नहीं करते, अर्थव्यवस्था में नए निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम नहीं उठाते, सरकार के वित्तीय प्रबंधन को बेहतर नहीं बनाते और आम आदमी की आजीविका सुरक्षा और देश की उर्जा सुरक्षा के लिए काम नहीं करते तो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर निश्चय ही असर पड़ता है।

चिर परिचित नीली पगड़ी पहनकर आए सिंह ने शासन प्रशासन के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का संकल्प दोहराने के साथ ही यह भी ध्यान रखने की ताकीद की कि बेबुनियाद शिकायतों और गैर जरूरी अदालती कार्रवाइयों से अधिकारियों के मनोबल को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

वैश्विक मंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन दिनों विश्व अर्थव्यवस्था एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। दुनिया के सभी देशों में आर्थिक विकास की रफ्तार कम हुई है। यूरोप के देशों को मिलाकर देखा जाए तो इस साल उनकी विकास दर शून्य रहने का अनुमान है। हमारे देश के बाहर के हालात का असर हम पर भी पड़ा है। साथ ही देश के अंदर कई ऐसी परिस्थितियां बनी हैं जो हमारे आर्थिक विकास में बाधा पहुंचा रही हैं।

मुख्य विपक्षी दल भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने हालांकि प्रधानमंत्री के भाषण को पूरी तरह फीका और प्रेरणाहीन करार दिया।

जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री के रूप में सबसे अधिक बार लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराने वाले सिंह ने कहा कि लोकसभा ने लोकपाल विधेयक पारित कर दिया है।

हमें उम्मीद है कि राज्यसभा में इस विधेयक को पारित करने में सभी राजनीतिक दल हमारी मदद करेंगे। लोकसेवकों के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और उसमें भ्रष्टाचार कम करने की कोशिश हम जारी रखेंगे।

असम में जातीय हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने वायदा किया कि सरकार इन घटनाओं की वजहों को समझने की पूरी कोशिश करेगी और राज्य सरकारों के साथ मिलकर मेहनत से काम करेगी ताकि देश में कहीं भी इस तरह के हादसे दोबारा न होने पाएं।

आंतरिक सुरक्षा की चर्चा करते हुए सिंह ने कहा कि सांप्रदायिक सदभाव को हमें हर कीमत पर बनाए रखना है। इस महीने के शुरू में पुणे में जो घटनाएं हुई, वे इस बात की तरह इशारा करती हैं कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में हमें अभी भी काफी काम करना है।

इससे पहले प्रधानमंत्री सुबह सात बजकर 20 मिनट पर लाल किला पहुंचे। रक्षा मंत्री ए के एंटनी, रक्षा राज्य मंत्री पल्लम राजू और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने उनका स्वागत किया। लाल किला जाने से पहले वह राजघाट गए, जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

लाल किले पर झंडारोहण के बाद राष्ट्रधुन बजाई गई और 21 तोपों की सलामी दी गई। समारोह का समापन भी राष्ट्रगान और आसमान में गुब्बारे छोड़ने के साथ हुआ।

सिंह के संबोधन के दौरान उपस्थित अतिथियों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली शामिल थे। प्रधानमंत्री की पत्नी गुरुशरण कौर सोनिया गांधी के बगल में बैठी थीं। इस मौके पर दिल्ली के उप राज्यपाल तेजेन्दर खन्ना और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी मौजूद थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरों और गांवों के युवाओं को रोजगार तथा गरीब, मजदूर और किसानों की आजीविका सुरक्षित करने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी।

देश के सैन्यबलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमने हाल के महीनों में अपनी सेना की भूमिका और उसकी तैयारी के बारे में काफी बहस देखी। हमारी सेना और अर्धसैनिक बल हर प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। सरकार इन बलों को आधुनिक बनाने के लिए वचनबद्ध है और उन्हें जरूरी प्रौद्योगिकी एवं साज सामान मुहैया कराने का काम जारी रखेगी।

उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत हमारे महान देश को विकास और तरक्की की नई उंचाइयां पाने से नहीं रोक सकती। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि हम सब मिल जुलकर और एक होकर अपने देश की कामयाबी के लिए काम करें।



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