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आजादी की 65वीं सालगिरह: क्या होगा देश का भविष्य


भारत के स्वर्णिम इतिहास के पन्नों में 65 साल की दास्तान लिखी जाए तो इन 65 सालों में भारत ने काफी उन्नति की। हम आर्थिक दृष्टि से तो मजबूत हुए ही लेकिन सैन्य शक्ति से भी मजबूती पाई। इन सबके साथ-साथ भ्रष्टाचार की हदें भी पार की, जितनी हमने कभी ख्वाब में भी नहीं सोची होगी।

क्या कहते हैं देश के सितारे -

उस समय दिल्ली में मध्य रात्रि को वृषभ लग्न मीन नवांश मिथुन राशि चल रही थी। इस समय केतु मध्य राहु व शनि-मंगल कि युति चल रही है।


अन्य ग्रह इस प्रकार हैं- गुरु, केतु लग्न में जो एकादशेश व अष्टमेश भी हैं। केतु जिस ग्रह के साथ बैठता है उस ग्रहानुसार परिणाम देता हैं। गुरु वृषभ की राशि में होने से तटस्थ ही रहता है। अतः भारत की आर्थिक दशा के सुधार के आसार नजर नहीं आते। कहीं पहले से और खस्ता हालात न बन जाए।

गुरु की पंचम भाव पर दृष्टि सम दृष्टि युवा वर्ग में पहले से ज्यादा उत्साह दिखाई देगा। सप्तम भाव पर मित्र दृष्टि है, लेकिन वहां बैठे राहु पर भी पड़ रही है जो चांडाल योग बना रही है। इससे कही-कही हिंसा देखने को मिल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मार्ग में बाधा बनेगी। सप्तम में राहु का होना भी स्त्री वर्ग के लिए ठीक नहीं है। लग्नेश व षष्टेश शुक्र का द्वितीय भाव में होना धन की गति फिजूल खर्ची में होने के संकेत भी हैं।

सूर्य का अपने घर से व्यय भाव तृतीय में द्वितीयेश व पंचमेश बुध के साथ संचार, देश में होने वाली दुर्घटनाएं, संधी, रेल सेवा आदि में परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। शनि की दसवीं दृष्टि तृतीय भाव पर स्थित सूर्य पर पड़ने से होती है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह वर्ष काफी कुछ घटना-दुर्घटनाओं से भरा रहेगा। देश की हालत चिंताजनक ही रहने की संभावना अधिक है। केतु मध्य राहु के सभी ग्रह का होने से शुभ संकेत नहीं है।



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